मुझको मिले हैं ज़ख्म जो बेहिस जहान से
मुझको मिले हैं ज़ख्म जो बेहिस जहान से
फ़ुरसत में आज गिन रहा हूँ इत्मिनान से
आँगन तेरी आँखों का न हो जाये कहीं तर
डरता हूँ इसलिए मैं वफ़ा के बयान से
साहिल पे कुछ भी न था तेरी याद के सिवा
दरिया भी थम चुका था अश्क़ का उफ़ान से
नज़रों से मेरी नज़रें मिलाता है हर घड़ी
इकरार-ए-इश्क़ पर नहीं करता ज़ुबान से
कटती है ज़िन्दगी नदीश की कुछ इस तरह
हर लम्हां गुज़रता है नये इम्तिहान से
चित्र साभार : गूगल
दिल मेरा जब लेकर तेरा नाम
दिल मेरा जब लेकर तेरा नाम धड़कने लगता है
वीरां-वीरां आँखों में एक ख्वाब चमकने लगता है
साँसों की ही खातिर तुझको माँगा है इस जीवन ने
तुझको न सोचे तो ये दिल यार मचलने लगता है
चुभ जाते हैं अश्क़ों के कांटे यादों के बिस्तर पे
नींदों का पतझर आकर बेज़ार दहकने लगता है
जुगनू, खुश्बू, चाँद-सितारे, बादल, गुलशन और फिज़ा
जब तुम मेरे पास न हो तो माहौल अखरने लगता है
कैसे हाल सुनाये अपने दिल का तुमको कहो नदीश
आँखों से आंसू बनकर ये दर्द छलकने लगता है
चित्र साभार : गूगल
प्यार करें
कड़ी है धूप चलो छाँव तले प्यार करें
नज़रिया बदलें तो दुनिया भी बदल जाएगी
भूल के रंजिशें, शिकवे-ओ-गिले प्यार करें
वफ़ा ख़ुलूस के जज्बों से लबालब होकर
फूल अरमानों का जब-जब भी खिले प्यार करें
दिलों के दरम्यां रह जाये न दूरी कोई
चराग़ दिल में कुर्बतों का जले प्यार करें
तमाम नफ़रतें मिट जाये दिलों से अपने
तंग एहसास कोई जब भी खले प्यार करें
कौन अपना या पराया नदीश छोडो भी
मिले इंसान जहाँ जब भी भले प्यार करें
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