ग़र मेरे एहसास कुछ नहीं
तो फिर मेरे पास कुछ नहीं
आँखों में ये आँसू तो हैं
हाँ कहने को खास कुछ नहीं
कितने रिश्ते-नाते मेरे
होने का आभास कुछ नहीं
ज़िन्दा जो मेरी सांसों से
उससे भी अब आस कुछ नहीं
अब नदीश मिलने आये हो
ज़िस्म बचा है सांस कुछ नहीं
चित्र साभार: गूगल
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