तन्हाई के जंगल


तन्हाई के जंगल में 
भटकते हुए 
याद का पल
जब भीग जाता है 
अश्क़ों की बारिश में 
तब एक उम्मीद 
चुपके से आकर 
पोछ देती है 
अश्क़ों की नमी
और पहना देती है 
इंतज़ार के नये कपड़े

चित्र साभार- गूगल

जब तुम नहीं आते


अक्सर ही ऐसा होता है
उम्मीदों की उंगली थामे
दिल चल पड़ता है
तमन्ना की पथरीली राहों में
और चुभता है फिर
किसी की बेरुख़ी का कांटा
फिर लहूलुहान दिल
लौट पड़ता है
दर्द के दरख्त की तरफ
अक्सर ही ऐसा होता है


मन अकुला जाता है जब तुम नहीं आते
एक टीस सी उठती है हृदय में 
जैसे आ गया हूँ मैं प्रलय में 
आतुर हो नयन भटकते हैं 
अश्रु पलकों पर मचलते हैं 
ऋतु-रंग कुछ नहीं सुहाते
मन अकुला जाता है जब तुम नहीं आते...